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WORKCEET प्रस्तुत करता है – Short Stories in Hindi.
ये Choti Kahaniyan वास्तविक जीवन से जुड़ी हैं, जो कि बच्चे को वास्तविक जीवन के नैतिक मूल्यों का विकास करती है। कहानियाँ वास्तविक जीवन के इर्द गिर्द घूमती है। जिससे बच्चे में अपने परिवेश में अच्छी आदतों के निर्माण में सहायता मिलेगी। ये Short Stories in Hindi शिक्षाप्रद, प्रेरणादायक और मज़ेदार हैं जो बच्चे के जीवन में एक नया आयाम जोड़ती हैं। कहानियाँ, बच्चे के जीवन में एक नया अनुभव जोड़ने में मदद करेगा।
Short Stories in Hindi बच्चे, को रोचक ढंग से भाषा सिखाने का भी उत्तम माध्यम है। इसके द्वारा भविष्य निर्माण के मूल्यों को भी आसानी से सिखा सकते हैं ।
आप इन Short Stories in Hindi को PDF में भी डाउनलोड कर सकते हैं ।
Story मनुष्य के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि जीवन को समझने और सीखने का एक प्रभावशाली माध्यम भी है। कहानियां हमें हमारी संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों से जोड़ती हैं।
कहानी सुनाने और सुनने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। कहानियां बच्चों के नैतिक और सामाजिक विकास में मदद करती हैं। ये उन्हें सही और गलत के बीच फर्क करना सिखाती हैं और उनके कल्पनाशीलता को प्रोत्साहित करती हैं।
कहानी न केवल बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वयस्कों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनती है। यह जीवन के अनुभवों, चुनौतियों और संघर्षों को रोचक ढंग से प्रस्तुत करती है। कहानियां हमें जीवन के कठिन क्षणों में उम्मीद और प्रेरणा देती हैं।
1. बहादुर परी

एक लड़की थी। उसका नाम परी था। एक दिन वह अपनी सहेली के घर जा रही थी।अचानक उसे एक कुत्ता दिखाई दिया। परी घबरा गई। उसने अपने आस-पास देखा तो कोई भी नहीं था। परी ने साहस किया और निडर बन गई। कुत्ता उसके पास आता जा रहा था। परी अब चुपचाप आगे बढ़ती जा रही थी। कुत्ते ने उसे सूंघा और पूंछ हिलाने लगा। परी को अब पता चल गया कि कुत्ता उसे नुकसान नहीं करेगा। क्योंकि वह खुश था। उसने पापा से सुना था कि, कुत्ता जब भी खुश होता है तो पूंछ हिलाता है। अब वह बिना डरे आगे-आगे चल रही थी। कुत्ता उसके पीछे-पीछे चल रहा था। तभी उसकी सहेली नीना का घर आ गया। उसने नीना को अपनी बहादुरी का किस्सा सुनाया।
2. किस बात की शर्म?
मोहन कक्षा 2 में पढ़ता था। वह बहुत शर्मिला था। उसका एक दोस्त था। जिसका नाम दिनेश था। वह मोहन के साथ ही कक्षा में पढ़ता था। वे दोनों खूब सारी बातें करते थे।
एक दिन उनकी परीक्षा चल रही थी। दिनेश उसके बगल में ही बैठा हुआ था। मोहन को शौच लगने लगी। उसने बहुत कोशिश की, कि शौच को कुछ देर रोक सकूँ। लेकिन दर्द बढ़ता ही जा रहा था।
उसने चुपके से दिनेश को बताया तो, दिनेश ने अध्यापिका से कहने को कहा। अध्यापिका ने उनको बातें करते देख लिया। अध्यापिका ने उन्हें डांटते हुए कहा- दिनेश-मोहन बातें नहीं !
मोहन का दर्द बढ़ता ही गया। वह अध्यापिका को न कह पाया। आख़िरकार मोहन जैसे ही अध्यापिका को कहने को हुआ, उसकी पैंट शौच से खराब हो गई । सभी बच्चे जोर-जोर से हँसने लगे। अध्यापिका ने सब को चुप कराते हुए कहा – क्या बात हो गई मोहन ? मोहन ने सारी बात मैम को बताई।
मैम ने सभी बच्चों को समझाते हुए कहा – इसमें हँसने की क्या बात है ? टॉयलेट, पोटी और उल्टी तो कभी भी आ सकती है। इसे कहने में भला किस बात की शर्म ? टॉयलेट और पोटी तो बड़े-छोटे सभी करते हैं। कई बार तो दस्त की वजह से दिन में 3 या 4 बार पोटी जाना पड़ता है। इसके बारे में कहने में कोई शर्म की बात नहीं ।
मोहन और बाकी बच्चों को ये बातें अच्छी तरह समझ में आ गई।
3. अंधेरे से दोस्ती
छोटे से गाँव में एक बच्चा रहता था जिसका नाम था रोहन। रोहन को अंधेरे से बहुत डर लगता था। रात होते ही वह डर के मारे अपनी माँ के पास दौड़कर चला जाता।
एक दिन रोहन की दादी ने उसे अपने पास बुलाया और कहा, “रोहन, क्या तुम जानते हो कि अंधेरा भी एक कहानी सुनाने वाला दोस्त है?”
रोहन ने हैरानी से पूछा, “अंधेरा और दोस्त? वो कैसे, दादी?”
दादी ने मुस्कुराते हुए कहा, “जब सब कुछ शांत हो जाता है और अंधेरा छा जाता है, तब चाँद और तारे अपनी रोशनी से हमें बताने आते हैं कि हर अंधेरे के पीछे एक उजाला छिपा होता है। अगर तुम अपनी आँखें बंद करके सुनोगे, तो हवा की सरसराहट और पत्तों की फुसफुसाहट तुम्हें एक नई कहानी सुनाएंगे।”
उस रात रोहन ने हिम्मत करके खुद को अंधेरे के साथ अकेला रखा। उसने अपनी आँखें बंद कीं और ध्यान से सुना। उसे हवा की मीठी आवाज सुनाई दी, जो कह रही थी, “डरो मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ।” पत्तों ने भी सरसराते हुए कहा, “हम यहाँ तुम्हें सुलाने के लिए गा रहे हैं।”
धीरे-धीरे रोहन को एहसास हुआ कि अंधेरे में डरने की कोई बात नहीं है। यह तो उसकी नई दोस्ती की शुरुआत थी। अब रोहन रात को निडर होकर सोता और अपने अंधेरे वाले दोस्तों की कहानियाँ सुनता।
4. चोरी बुरी आदत
विकास और अमन दोनों अच्छे दोस्त थे। एक दिन वे कक्षा में काम कर रहे थे। तभी अमन टॉयलेट करने को बाहर गया तो विकास ने उसकी नई पेंसिल छुपा ली। अमन ने वापस आकर अपनी पेंसिल ढूंढी तो नहीं मिली।
अमन ने विकास से पूछा तो विकास ने झूठ कह दिया मेरे पास नहीं है। अमन परेशान हो गया क्योंकि उसे पता था कि, उसे अपनी मम्मी की डांट खानी पड़ेगी। उसने अमन से कहा – कहीं तुम पेंसिल वॉशरूम में तो नहीं भूल आए ? अमन ने कहा – नहीं मैं तो यहीं रख के गया था।
अब अमन ने मैम को सारी बात बताई। मैम ने अमन के पास बैठे बच्चों के बैग देखने शुरू कर दिए। जैसे ही अमन की बारी आने वाली थी, छुट्टी की घंटी बजी । पेंसिल न मिली तो मैम ने अमन को नई पेंसिल लाने को कहा।
छुट्टी के समय विकास और अमन घर जा रहे थे। तो अमन के आंखों में आँसू आ गए की अब मम्मी की डाँट खानी पड़ेगी। विकास बहुत ही दुःखी हुआ कि उसने ऐसा काम क्यूँ किया? विकास ने उससे कहा – देख यार मैं तुझे एक बात बताता हूँ, पर कसम खाओ कि मेरी बात किसी से न कहोगे। अमन ने कहा – ठीक है यार नहीं कहूँगा क्या बात है ?
विकास ने कहा – तेरी पेंसिल मैंने छुपा दी थी और ये लो अपनी पेंसिल, पर इसके बारे में किसी को मत बताना। मुझे चोरी नहीं करनी चाहिए थी ।अमन ने कहा ठीक है, अब अगर आप चोरी करना और झूठ बोलना छोड़ दोगे, तो मैं किसी से न कहूंगा। तब से विकास ने कभी भी चोरी नहीं की और न ही झूठ बोला। अमन के साथ उसकी दोस्ती पक्की रही ।
5. अता पता लापता
अमन अपने परिवार के साथ मेले घूमने गया । मेले में भीड़ बहुत थी । वह अपने भाई का हाथ पकड़े हुआ था । अचानक भीड़ की वजह से उसका हाथ छूट गया । वह घबरा गया । उसने आगे जाकर देखा तो उसे कोई नहीं मिला । उसके परिवार वाले उसे ढूंढने पीछे चले गए । अमन को अब कुछ समझ में नहीं आ रहा था । वह जोर-जोर से मम्मी – मम्मी पुकारने लगा । लेकिन मेले में शोर बहुत ज्यादा था । तभी उसकी नजर एक पुलिसकर्मी पर पड़ी । उसने हिम्मत जुटा कर उन्हें पूरी बात बताई । पुलिसकर्मी ने अमन से उनके परिवारवालों का फ़ोन नंबर पूछा तो, अमन को किसी का भी नंबर याद नहीं था । पुलिसकर्मी ने उसे घर का पता पूछा तो, अमन को वो भी ढंग से याद नहीं था । तब पुलिसकर्मी ने अमन को समझाया कि, देखो अगर आपको अपनी ये जानकारियां पता होती तो हम आपको, परिवार से जल्द मिला देते। लेकिन अब थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा । यह कहकर वह अमन को मेले के कैंप में ले गए । जहां से उन्होंने लाउडस्पीकर पर अमन के घर वालों के लिए संदेश भेजा । थोड़ी देर इंतजार के बाद अमन के घरवाले वहां आ गए और अमन से खुशी से लिपट गए ।
6. इरफ़ान की ईमानदारी
इरफ़ान अपने दोस्त साहिल के साथ दुकान पर गया । उसे अपने लिए एक कॉपी खरीदनी थी । दुकान पर बड़ी भी थी । दुकानदार ने उसे 30 रुपये की कॉपी दी । इरफ़ान ने दुकानदार को 50 रुपए दिए । दुकानदार ने इरफ़ान को 70 रुपए लौटाए । इरफ़ान थोड़ा सकपका गया । दुकानदार सामान बेचने में लगा था । इरफ़ान ने दुकान से बाहर आकर साहिल से ये बात बताई । साहिल ने खुश होकर कहा अरे वाह आज तो मज़ा आ गया ।दुकानदार को लगा होगा तूने उसे 100 रुपए दिए । चल इन पैसों से कुछ खा लेते हैं । लेकिन इरफ़ान को अच्छा नहीं लग रहा था । उसने साहिल को कहा हमें किसी की मेहनत के पैसे गलती से भी नहीं रखने चाहिए । साहिल ने कहा अब क्या करें ? इरफ़ान साहिल को लेकर वापस सीधे दुकान में गया । उसने दुकानदार को हिसाब समझाया और पैसे लौटा दिए । दुकानदार बड़ा ही खुश हुआ उसने उन दोनों को एक-एक पेंसिल ईनाम में दी ।दोनों दोस्त बड़े खुश होकर घर को लौटे ।
7. मीना का घमंड
मीना कक्षा 5 में पढ़ती थी । वह कक्षा में प्रथम आती थी । उसे इस बात का बड़ा घमंड था ।वह छोटी – छोटी बातों की शिकायत मैडम से करके बच्चों को मार खिलाती थी । उसे यह सब करने में बड़ा मज़ा आता था । केवल दीपक था, जिसकी ड्राइंग में उससे ज्यादा नंबर आते थे । दीपक, मीना के पड़ोस में ही रहता था । वह दीपक से चिढ़ती थी । एक बार ड्राइंग प्रतियोगिता थी । दीपक उसके बगल में ही बैठ कर चित्र बना रहा था, उसकी ड्राइंग मीना से अच्छी बनी थी । मीना यह देख कर चिढ़ गई उसने गिरने का बहाना किया और दीपक की ड्राइंग में रंग गिरा दिए । दीपक को बहुत बुरा लगा, लेकिन मीना ने उसे सॉरी बोल दिया । दीपक ने उसे माफ कर दिया । अगले दिन मीना अचानक घर की सीढ़ियों से गिर पड़ी और उसकी टांग की हड्डी टूट गई । डॉक्टर ने पूरे 1 महीने के लिए उसे स्कूल न जाने को कहा । दीपक उसका हाल जानने घर पर आया और उससे अच्छे से बात की ।मीना ने उससे कहा 1 महीने बाद तो परीक्षाएं भी हैं, मैं कैसे कर के पास हो पाऊँगी ? दीपक ने कहा, चिंता मत करो मैं तुम्हें स्कूल का सारा काम बता दिया करूंगा । यह सुनते ही मीना को अपनी हरक़त पर बड़ा बुरा लगा । मीना रोने लगी और उसने ड्राइंग वाली बात सच – सच दीपक को बता दी । दीपक ने कहा, कोई बात नहीं अब आप ऐसा किसी और से मत करना । दीपक ने मीना की मदद की और इस बार भी मीना प्रथम आई । अब मीना सारे बच्चों से मिलजुल कर खुश रहने लगी ।
8. अजनबी का लालच
रिया को चॉकलेट बहुत पसंद थी । एक दिन वह अपने दोस्तों के साथ गली में खेल रही थी । तभी एक आदमी कार में आया । उसने सभी बच्चों से पूछा कि चॉकलेट किसे पसंद है ?
सभी ने हाँ कहा । उसने कहा आ जाओ मेरी गाड़ी में बहुत चॉकलेट है । तो रिया के अलावा कोई भी नहीं गया । रिया जैसे ही गाड़ी में गई तो उसने कहा अंकल कहाँ है चॉकलेट ?
उसने कहा वो तो उसके घर पर है । रिया ने जाने से मना किया तो, उसने जल्दी से दरवाज़ा बंद कर दिया और गाड़ी स्टार्ट की । रिया ज़ोर- ज़ोर से चिल्लाने लगी । उसकी आवाज़ सुनकर उनके पड़ोसी अंकल आ गए । उन्होंने गाड़ी रोककर उससे पूछताछ की । तब पता चला वह चोर था । सबने मिलकर उसे पुलिस के हवाले कर दिया ।
9. मोनू की आदत
मोनू 10 साल का था । मोनू को डांस बहुत पसंद था। वह अपने स्कूल में डांस में अव्वल था । लेकिन वह अपने कमरे को गंदा बनाके रखता था । हर जगह कपड़े और खिलौने बिखेर देता था । उन्हें सही जगह पर नहीं रखता था । मम्मी के बार – बार कहने पर भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आता था। एक बार उसके स्कूल में डांस प्रतियोगिता थी। मोनू बहुत उत्साहित था । वह प्रतियोगिता के दिन सुबह उठ गया । जल्दी-जल्दी नहाया और तौलिया नीचे फर्श पर फेंक दिया । तैयार होकर जैसे ही वह बाहर की तरफ जाने लगा। तौलिए में उसका पैर उलझ गया और वह फर्श पर जोर से गिर पड़ा । उसके कंधे में चोट लगी थी । वह दर्द से चिल्लाने लगा । उसके घरवाले दौड़े – दौड़े आए और उसे क्लीनिक पर ले गए । डॉक्टर ने बताया कि कंधे की हड्डी खिसक गई है, प्लास्टर करना पड़ेगा । मोनू अब प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकता था । मोनू को अपनी आदत पर बड़ा अफ़सोस हुआ । उस दिन के बाद मोनू हर सामान प्रयोग करने के बाद सही जगह पर रखने लगा ।
10. राहुल की दयालुता
राहुल एक दयालु लड़का था जिसे दूसरों की मदद करना बहुत पसंद था। एक दिन स्कूल से घर जाते समय उसने सड़क के किनारे एक बूढ़े आदमी को बैठे देखा। वह आदमी थका हुआ और भूखा लग रहा था, और उसके कपड़े फटे हुए थे। राहुल उसके पास गया और धीरे से पूछा, “क्या आप ठीक हैं, अंकल?”
बूढ़े आदमी ने जवाब दिया, “बेटा, मैंने दो दिनों से कुछ नहीं खाया है। मेरे पास न पैसे हैं और न कोई मदद करने वाला।”
राहुल को यह सुनकर बहुत दुख हुआ। उसने थोड़ा सोचा और मदद करने का फैसला किया। वह पास की दुकान पर गया और अपनी जमा की हुई पॉकेट मनी से कुछ खाना और पानी खरीदा। फिर वह लौटकर उस आदमी के पास आया और खाना उसके हाथ में दिया।
बूढ़े आदमी की आंखों में आंसू आ गए। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “धन्यवाद, बेटे। तुम बहुत अच्छे हो।”
राहुल यहीं नहीं रुका। वह घर गया और अपने माता-पिता को उस बूढ़े आदमी के बारे में बताया। उसके माता-पिता उसकी दयालुता पर गर्व महसूस कर रहे थे। उन्होंने उसे कुछ पुराने कपड़े और एक कंबल दिया ताकि वह बूढ़े आदमी को दे सके। राहुल खुशी-खुशी उन्हें लेकर उस आदमी के पास गया।
उस आदमी ने राहुल को आशीर्वाद दिया और कहा, “तुम्हारा जीवन हमेशा खुशहाल और सफल रहे।
उस दिन से राहुल ने ठान लिया कि जब भी किसी जरूरतमंद की मदद करने का मौका मिलेगा, वह जरूर करेगा।
धन्यवाद !
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