कक्षा – 4, हिंदी, पाठ – 7 – दान का हिसाब ( Class-4th Chapter-7- ‘Dan Ka Hisab’ Worksheet )
पाठ – दान का हिसाब, कक्षा – 4 , CBSE एवं NCERT द्वारा अनुमोदित पाठ्य पुस्तक में रिमझिम का सप्तम् पाठ है। प्रस्तुत है- पाठ पर आधारित Worksheet और कुछ वर्कशीट को हल करते समय स्मरण रखने वाली जानकारियां। जो आपके बच्चों को बेहतर व नए तरीके से पाठ को समझने में मदद करेंगी। वर्कशीट का प्रयोग करने से पहले इस लेख को ध्यान से पढ़ें। अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाकर विषयवस्तु का अध्ययन कर सकते हैं।
पाठ का उद्देश्य (Objectives of Dan Ka Hisab ) –
दान का हिसाब, पाठ के निम्न उद्देश्य हो सकते हैं –
कहानी द्वारा सामाजिक संवेदनशीलता के प्रति ध्यान आकर्षण करना।
बच्चों में सामाजिक व नैतिक गुणों का विकास करना।
कहानी के पात्रों के चरित्र का मूल्यांकन करना।
बच्चों में गणना करना का गुण विकसित करना।
बच्चों में कल्पनाशीलता का विकास करना।
मुहावरे व लोकोक्तियों का प्रयोग कर भाषा को रोचक बनाना।
स्थानीय भाषाओं का प्रयोग कर भाषा का विकास करना।
तर्क करना, विश्लेषण करना, अनुमान लगाना की क्षमता का विकास करना।
शब्द भंडार को बढ़ाना
अभिव्यक्ति को स्थान देना
आनंद और मनोरंजन का भाव विकसित करना।
पाठ का सारांश (Summery of Dan ka Hisab ) –
पाठ – दान का हिसाब, सुकुमार राय द्वारा लिखी एक कहानी है। जो कक्षा 4 की पुस्तक रिमझिम का सातवां पाठ है।
इस कहानी में एक राजा था, जो राजकोष का धन केवल अपने कपड़ों और सुख-सुविधाओं के लिए प्रयोग करता था। यदि दान की बारी आती तो वह कंजूष हो जाता था। उसके राजदरबार में केवल नामी व्यक्तियों का ही सम्मान किया जाता था। सज्जन व ज्ञानी लोगों का वहाँ आदर सत्कार नहीं होता था।एक बार उस राज्य के पूर्वी क्षेत्र में अकाल पड़ गया। वहाँ की प्रजा ने राजा से राजभंडार से कुछ सहायता देने को कहा। पर राजा ने मना कर दिया और कहा ऐसी आपदाएं तो आती रहेंगी क्या मैं राजभंडार को खाली कर दूँ ?
जब वहाँ अकाल का प्रकोप बढ़ गया। तो प्रजा ने फिर से राजा से दस हजार रुपये देने को कहा। लेकिन राजा को वो दस हजार भी बहुत अधिक लगे। फिर जब एक व्यक्ति ने उन्हें कहा कि राजभंडार तो धन का सागर है, उसमें से कुछ देने से भला क्या नुकसान हो सकता है। फिर तो राजा को गुस्सा आ गया। और बोला वह धन लुटाने के लिए नहीं है। और उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। दरबार में उपस्थित दरबारी भी राजा के सामने कुछ ना कह सके।
उन लोगों के जाने के दो दिन बाद एक संन्यासी राजदरबार में आया। उसने राजा को दानी कर्ण कहकर बुलाया। राजा अपनी तारीफ़ सुनकर खुश हुआ। वह उससे कुछ कम भिक्षा माँगने का आग्रह करने लगा। तो संन्यासी ने कहा मेरी भिक्षा का नियम है कि मैं बीस दिन तक भिक्षा लेता हूँ। और प्रत्येक दिन पहले दिन का दोगुना लेता हूँ।
राजा ने नियम पर सहमति जताई पर कुछ कम से शुरूआत करने को कहा। संन्यासी ने कहा कि मुझे अधिक की आवश्यकता नहीं बस पहले दिन एक रुपये से शुरू कर दिजिएगा। राजा ने बिना सोचे समझे राजभंडार के भंडारी को भिक्षा नियमानुसार देने के आदेश दे दिए।
राजा के आदेशानुसार भंडारी, संन्यासी को भिक्षा देने लगा। दो सप्ताह बाद भंडारी को लगने लगा कि काफ़ी भंडार जाने लगा है। तो उसने मंत्री को बताया। फिर जब मंत्री और भंडारी ने हिसाब लगाया तो पता चला कि कुल दस लाख अड़तालीस हज़ार पाँच सौ पिचहत्तर रुपये देने पड़ रहे थे। तो उन्होंने राजा को यह बात बताई। राजा यह सुनकर विचलित हो उठा। उसने तुरंत संन्यासी को बुलाया।
राजा ने हाथ जोड़कर अपनी शर्त वापस लेने को कहा। तो संन्यासी ने कहा कि ठीक है अकालग्रस्त लोगों के लिए पचास हजार दे दो तो मैं अपनी भिक्षा पूरी समझ लूँगा। राजा ने कहा कि वह तो दस हजार के लिए कह रहे थे। लेकिन संन्यासी नहीं माने। अंत में राजा को पचास हजार राजकोष से देने पड़े। फिर सारे राज्य में यह खबर फैली कि राजा कर्ण जैंसे दानी हैं।
वर्कशीट के बारे में ( About Worksheet of Dan Ka Hisab) –
कक्षा 4 का पाठ -7, दान का हिसाब, वर्कशीट की शुरूआत पाठ के अध्ययन के पश्चात बच्चों को प्राप्त जानकारी के आधार पर क्रियाकलाप 1 में कुछ बहुविकल्पी प्रश्न दिए गए हैं। जिन पर सही विकल्प पर सही का निशान लगाना है।
उसके पश्चात क्रियाकलाप 2 पाठ से कुछ अधूरे वाक्य लिखे गए हैं जिन्हें बच्चों को पूरा करना है। यह उन्हें छाँटकर, ढूँढने वाली गतिविधि में भी मदद करेगी। यह कार्य गृहकार्य के रूप में भी दिया जा सकता है।
क्रियाकलाप 3 में किताब में दिए हुए संवाद किसने कहा को पूछा गया है। जिसमें राजा, प्रजा संन्यासी और मंत्री के कहे संवाद हैं।
क्रियाकलाप 4 में कुछ लघु उत्तरीय प्रश्न दिए गए हैं। जो कि पुस्तक रिमझिम से ही लिए गए हैं। यह पाठ ‘दान का हिसाब‘ के ज्ञान पर ही आधारित हैं।
क्रियाकलाप 5 में पाठ दान का हिसाब में आए कुछ शब्दों का अर्थ लिखना है।
क्रियाकलाप 6 में बच्चों को राजदरबार के क्रियान्वयन में प्रत्येक पदाधिकारी के दायित्वों और जिम्मेदारियों को लिखना है। जिससे वे समाज के संगठन में प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका को समझ पाएँगे।
क्रियाकलाप 7 में पुस्तक रिमझिम के पाठ दान का हिसाब में आई उपमा ‘दानी कर्ण‘ के बारे में खोजबीन को कहा गया है। कि वे कौन थे ? और उन्होंने ऐसा क्या किया था, जिससे वे दानी कर्ण कहलाए। साथ ही दान कब-कब देते हैं ? से उनके परिवेश की समझ भी व्यक्त करने को कही गई है।
क्रियाकलाप 8 में पाठ में प्रयुक्त कुछ मुहावरों से अपने वाक्य बनाने की गतिविधि दी गई है।
क्रियाकलाप 9 में कुछ बहुअर्थी शब्दों पर वाक्य बनाने की गतिविधि दी गई है। जिससे बच्चे वाक्य व परिस्थिति अनुसार शब्दों के अर्थ को समझने में सक्षम हो सकें।
क्रियाकलाप 10 में बच्चों को दिशाओं की समझ विकसित करने हेतु गतिविधि दी गई है। जिसमें उन्हें उनके स्थान से प्रत्येक दिशा में स्थित कुछ स्मारक या जगह बतानी है।
क्रियाकलाप 11 में बच्चों में सामाजिक घटनाओं के प्र्रति संवेदनशील बनाने का प्रयास किया गया है। इस क्रियाकलाप में बच्चों को किसी अकालग्रस्त इलाके की तस्वीर को अखबार या पत्र-पत्रिकाओं से काट कर चिपकाना है। और साथ ही यह भी लिखना है कि वह ऐसी परिस्थिति में अकालग्रस्त लोगों की कैंसे सहायता कर सकते हैं। इस क्रियाकलाप में अभिभावक और अध्यापक की सहायता आवश्यक है।
क्रियाकलाप 12 में एक राजा का चित्र बनाना है जो लकदक कपड़े पहना हुआ हो।
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पाठ से संबंधित अन्य उपयोगी संसाधन –
नीचे कुछ लिंक दिए जा रहे हैं। जिनके द्वारा आप NCERT की पुस्तक और पाठ ‘दान का हिसाब’ को डाउनलोड भी कर सकते हैं। जो आपको पाठ को और विस्तार से समझने में मदद करेंगे।
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